तेरे रंगों में से बस कोई इक भी रंग हो ऐसा...
सूरज भी लाली ले उसमे अपनी कलम डुबोकर...!!
जिस्म से भी परे है अद् भुत अहसास तेरा
रूह में उतार तुझे, मैं खुद को खुदा पाती हूँ...!!
जिंदगी मेरी...मेरे पास 'ठहर' के रहना,
तुझ संग जीने की ललक है 'ताउम्र '...!!
दिल जैसे 'लहरों' पर
'लहर' बन लहराता
निःशब्दता गुनगुनाने लगती है... !!
मैं सीमित हूं ...
असीमित अकांक्षाओं के साथ... !!
मेरा मन
मेरे सपने तो
तुम्हारे ही संसार रचते हैं...!!
अतीत
बहुत सुन्दर लगता है
वर्तमान में
रहता कौन है...???
भविष्य के विषय में
सोचते हुए
वर्तमान बीतकर
अतीत हो जाता है..
यही सत्य है... ... !!
जीवन एक
अबूझ पहेली
और ये ...
सपने न जाने
क्या- क्या
रंग-रूप
धारण कर लें
कभी पूनम
तो कभी
स्याह रात
छिन्न भिन्न सब... ... !!
दबे पाँव आते हो 'तुम' हौले -हौले...
हरसिंगार झरता है उसी पहर ... !!
तुम मेरी 'हद'..
मेरी 'अनहद्द'...
तुममे रंगते रंगते
मनभावन हो गयी
ये 'प्रेम' है जोगी....
ये भक्ति है...
मै 'अडोल' हूँ जोगी ..
चाहे 'जब' आजमा लेना ...!!
सूरज भी लाली ले उसमे अपनी कलम डुबोकर...!!
जिस्म से भी परे है अद् भुत अहसास तेरा
रूह में उतार तुझे, मैं खुद को खुदा पाती हूँ...!!
जिंदगी मेरी...मेरे पास 'ठहर' के रहना,
तुझ संग जीने की ललक है 'ताउम्र '...!!
दिल जैसे 'लहरों' पर
'लहर' बन लहराता
निःशब्दता गुनगुनाने लगती है... !!
मैं सीमित हूं ...
असीमित अकांक्षाओं के साथ... !!
मेरा मन
मेरे सपने तो
तुम्हारे ही संसार रचते हैं...!!
अतीत
बहुत सुन्दर लगता है
वर्तमान में
रहता कौन है...???
भविष्य के विषय में
सोचते हुए
वर्तमान बीतकर
अतीत हो जाता है..
यही सत्य है... ... !!
जीवन एक
अबूझ पहेली
और ये ...
सपने न जाने
क्या- क्या
रंग-रूप
धारण कर लें
कभी पूनम
तो कभी
स्याह रात
छिन्न भिन्न सब... ... !!
दबे पाँव आते हो 'तुम' हौले -हौले...
हरसिंगार झरता है उसी पहर ... !!
तुम मेरी 'हद'..
मेरी 'अनहद्द'...
तुममे रंगते रंगते
मनभावन हो गयी
ये 'प्रेम' है जोगी....
ये भक्ति है...
मै 'अडोल' हूँ जोगी ..
चाहे 'जब' आजमा लेना ...!!
No comments:
Post a Comment