जी करता है
तितली सी...
करील-करील उडती
आ जाउं तेरे पास
कण-कण भर लूँ..
तन -मन भर लूँ
सांसो में भर लूँ
पिया सांवरे
तेरे उड़ते पराग.. ..!!
तितली सी...
करील-करील उडती
आ जाउं तेरे पास
कण-कण भर लूँ..
तन -मन भर लूँ
सांसो में भर लूँ
पिया सांवरे
तेरे उड़ते पराग.. ..!!
आपकी यह रचना कल मंगलवार (11-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,सादर आभार।
ReplyDeleteसुन्दर .. भावमय प्रस्तुति .. प्रेम का गहरा एहसास लिए ...
ReplyDeleteपिया सांवरे....वाह
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति वसुन्धरा जी...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
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