Monday, June 3, 2013
युग से
अचानक से
कड़कती धूप मे,
चांद दिखा
हरहराते ,
चांदनी बरसाते
शीतल कर गया.. ..
एक युग से
प्यासी थी धरती.. .. .. !!
3 comments:
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
June 3, 2013 at 10:39 AM
बहुत सुंदर प्यारी रचना ,,,
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: ऐसी गजल गाता नही,
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संजय भास्कर
June 3, 2013 at 9:59 PM
अच्छी रचना
बहुत सुंदर
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Anonymous
June 26, 2013 at 2:19 PM
सुंदर
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बहुत सुंदर प्यारी रचना ,,,
ReplyDeleterecent post : ऐसी गजल गाता नही,
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सुंदर
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