Friday, May 31, 2013

तेरा प्‍यार

लट्टू की लपेट
तेरा प्‍यार

मैं नाच रही हूँ
गोल-गोल
अपनी ही धुरी पर

जैसे नाच रहा ब्रह्मांड... !!

3 comments:

  1. प्रेम जो न कराये कम है ...

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  2. सुंदर रचना के लिए आपको बधाई

    संजय कुमार
    शब्दों की मुस्कुराहट
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

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