Monday, May 13, 2013

तितली सा मन तो उड़ेगा ही.

सूरज घुटे तो घुटे
चाँद छिजे तो छिजे
अपना तो
तितली सा मन
उड़ेगा ही
प्रीत का वरदान है...

गुलाल की दीवार है
इंगुर की छ्त है
कमल का पलंग है
फूलों की सेज है...

खुशियों का झूला तो
झूलेगा ही...

तितली सा मन तो
उड़ेगा ही...!

6 comments:

  1. वाह..............
    बेहद सुन्दर!!!!

    अनु

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  2. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज ३० मई, २०१३, बृहस्पतिवार के ब्लॉग बुलेटिन - जीवन के कुछ सत्य अनुभव पर लिंक किया है | बहुत बहुत बधाई |

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  3. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    http://madan-saxena.blogspot.in/
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  4. Replies
    1. बहुत बहुत आभार मित्रों...!!
      तुषार जी ...बहुत बहुत धन्यवाद...अनन्य कारण से मै देख नही पायी ...आज आ सकी हूँ तो आप सबकी प्रतिक्रिया देख ..अविभूत हूँ ...

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