सूरज घुटे तो घुटे
चाँद छिजे तो छिजे
अपना तो
तितली सा मन
उड़ेगा ही
प्रीत का वरदान है...
गुलाल की दीवार है
इंगुर की छ्त है
कमल का पलंग है
फूलों की सेज है...
खुशियों का झूला तो
झूलेगा ही...
तितली सा मन तो
उड़ेगा ही...!
चाँद छिजे तो छिजे
अपना तो
तितली सा मन
उड़ेगा ही
प्रीत का वरदान है...
गुलाल की दीवार है
इंगुर की छ्त है
कमल का पलंग है
फूलों की सेज है...
खुशियों का झूला तो
झूलेगा ही...
तितली सा मन तो
उड़ेगा ही...!
वाह..............
ReplyDeleteबेहद सुन्दर!!!!
अनु
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज ३० मई, २०१३, बृहस्पतिवार के ब्लॉग बुलेटिन - जीवन के कुछ सत्य अनुभव पर लिंक किया है | बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeletelatest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
अनुभूति : विविधा -2
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ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मित्रों...!!
Deleteतुषार जी ...बहुत बहुत धन्यवाद...अनन्य कारण से मै देख नही पायी ...आज आ सकी हूँ तो आप सबकी प्रतिक्रिया देख ..अविभूत हूँ ...