“लिखे थे
हमने भी कई बार कई ख़त
पसीने और आंसुओं से
नक्काशी थी उनकी इबारत
हर बार
चिंदी-चिंदी होते रहे
(मजबूर हाथो में जड़े )
वर्जनाओं के आरे में
और
अब हम लिखते हैं
सारे ख़त
तमाम वर्जनाओं के नाम
उनमे छिपा रखे हैं हमने
छोटे-छोटे प्रेम
वर्जनाओं की दुनिया में
बड़ी खलबली है इन दिनों ...!”
हमने भी कई बार कई ख़त
पसीने और आंसुओं से
नक्काशी थी उनकी इबारत
हर बार
चिंदी-चिंदी होते रहे
(मजबूर हाथो में जड़े )
वर्जनाओं के आरे में
और
अब हम लिखते हैं
सारे ख़त
तमाम वर्जनाओं के नाम
उनमे छिपा रखे हैं हमने
छोटे-छोटे प्रेम
वर्जनाओं की दुनिया में
बड़ी खलबली है इन दिनों ...!”
बहुत बढ़िया!!
ReplyDeleteअनु