'इक गंध घुलती है'
'तेज धूप वाली
दुपहरी में' जब
कोई पगला बादल
बरस जाता है...
उसके ठीक बाद
जैसी गंध आती है ना?
'तेज धूप वाली
दुपहरी में' जब
कोई पगला बादल
बरस जाता है...
उसके ठीक बाद
जैसी गंध आती है ना?
ठीक वैसी ही...
गंध घुलती है जब
तुम चुपके से
मुझे 'नीहार' जाते हो... !!
गंध घुलती है जब
तुम चुपके से
मुझे 'नीहार' जाते हो... !!
बढिया ..
ReplyDeleteSaadar aabhar aapko...!!
Deleteसोंधी सी महक वाला प्यार!!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
अनु
Thanks Anu
Deleteक्या सोंधी खुशबू होती है,,,,बढ़िया अभिव्यक्ति,,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
Abhar aapko !!
Deleteप्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
Thanks ....Same hear ...!!
Deleteसुन्दर रचना ।
ReplyDeletedhanyvaad ..aapka sneh mila, abhari hun !!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletegandh ya sugandh?:)
ReplyDeletebehtareen.