जिन्दगी तो हर कदम
पुकारती रही
तुमने सुना ही नहीं
नज़रें नीचे किये चलते
रहे
वह तो
फैली थी खुशबू सी
हर तरफ
तुमने सूंघी ही नहीं
उसकी महक
वह तो
आस लगाए
तकती रही तेरी राह
और तुम
जुगनुओं के पीछे
न जाने कहाँ से
किधर को भटका किये
और यों
वक्त की मुट्ठी से
जिंदगी के
छोटे-छोटे पल-छिन
छूटते फिसलते
बिखरते रहे ...!
ïïï
बहुत सुन्दर रचना ,
ReplyDeleteजिन्दगी तो हर कदम
ReplyDeleteपुकारती रही
तुमने सुना ही नहीं
नज़रें नीचे किये चलते रहे
वह तो
फैली थी खुशबू सी
हर तरफ
तुमने सूंघी ही नहीं
उसकी महक
बहुत सुन्दर लेख
बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुती ,आभार।
ReplyDeleteनिसंदेह साधुवाद योग्य रचना....
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