Friday, July 26, 2013

दो छोटी कवितायेँ

एक
*****
पलकें निश्चल
पुतलियों में हलचल
स्वप्न क्यूँ देखूं तेरा ही
बार-बार, हर बार...!!

दो
*****

बोझिल,बेनूर शाम
मटीआला आसमान
समय दिन कोई हो
'नदी'
बहती बिलकुल मुझसी हो... !!

10 comments:

  1. बहुत उम्दा ... दोनों ख्याल खूबसूरत ... नदी का काम है बहना ...

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    1. सच कहा आपने नदी का काम है बहना ...
      आभार !!

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  2. नदी और विचारों का बहना ...बहुत जरुरी है ...खड़े पानी और विचारों में गंध ना पड़े इस लिए ...

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  3. सुंदर रचनाये |

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  4. बहुत बहुत धन्यवाद आप सबको !

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