जाओ...
चले जाओ
पर जाओगे कहाँ ?
तेरी अनुपस्थिति भी
मेरे लिए एक उपस्थित है
ना निकले सूरज
तेरा उजाला
दिल से जानेवाला नहीं
अब तो
बिना चाँद के भी
मेरी रातें चांदनी हो जाती हैं
अंतस में
नदिया की तरह
जीवन की तरह
शब्द-शब्द तुम
मेरी रगों में बहते हो...
जाओ
पर मुझे छोड़ कर, जाओगे कहाँ... ?
चले जाओ
पर जाओगे कहाँ ?
तेरी अनुपस्थिति भी
मेरे लिए एक उपस्थित है
ना निकले सूरज
तेरा उजाला
दिल से जानेवाला नहीं
अब तो
बिना चाँद के भी
मेरी रातें चांदनी हो जाती हैं
अंतस में
नदिया की तरह
जीवन की तरह
शब्द-शब्द तुम
मेरी रगों में बहते हो...
जाओ
पर मुझे छोड़ कर, जाओगे कहाँ... ?
आपकी यह रचना आज शनिवार (03-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteजो अभिन्न है वह कैसे अलग हो सकता है !
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अरुण जी ...!
ReplyDeleteआभारी हूँ प्रतिभा जी आपके कदम यहाँ तक आये...!!
जीवन के साथ हैं शब्द ....बना रहे ये नाता
ReplyDeleteआभार मोनिका जी !
Deleteबहुत ही खूबसूरत बिंब लिये हैं, सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
ताऊ और रामप्यारी की संगीता स्वरूप "(गीत)" से दो और दो पांच !
रामराम ताऊ जी ..आभार !!
Deleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (04-08-2013) के चर्चा मंच 1327 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteआभार अरुण जी !
DeleteBahut hi bhavpurn abhivyakti..
ReplyDeleteआभार नीरज जी
Deleteबहुत कुछ कई बार आसान नहीं होता ... यादों का जाना भी बस में नहीं होता ...
ReplyDeleteरागिन से निकाल बाहर करना आसान नहीं जो खून की तरह होते हैं ...
बहुत खूब नासवा जी..आभार !!
Deleteतेरा उजाला
ReplyDeleteदिल से जानेवाला नहीं
:) :)
Atyant sundar, Badhayi,
ReplyDeleteComment on girl pic , John dalton inventions
ati sunder kavita h
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