Wednesday, March 14, 2012

बसंत

बीत गया बसंत
तेरे आगमन की यादे
शेष है
पतझर के मौसम में
ये कैसा श्रृंगार हुआ था
बसंत का आगमन तो दूर
मेरे मन में
तेरा आगमन
बार - बार हुआ था
नैस्त्रशियम और पैंजी के
फूलों से ज्यादे
सुन्दर, खुबसूरत
आम के बौरों से भी
ज्यादा महकदार -
ऐ मेरे यार,
हवा जैसे...
दोशीजा की कलियों के आंचल
और लहरों के मिजाज से
छेड़खानी करती ,
मेरे मन में तेरी आहट
एक नयी अनुभूति..
तुम सुबह से भी ज्यादा मासूम
प्रभाती गाकर..
फूलों को जगा देने वाले
देवदूत मेरे
सूर्योदय के गुलाबी पंखुडियां
बिखेरने वाले,
सुनहरे पराग की एक बौछार
सुबह के ताजे फूलों सी बिछ रही
मेरे तन-मन में
अब भी शेष ... !!

22 comments:

  1. सुनहरे पराग की एक बौछार
    सुबह के ताजे फूलों सी बिछ रही
    मेरे तन-मन में
    अब भी शेष ... !!
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण सुंदर रचना,...

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

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  2. आपका फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,..आभार

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    1. धन्यवाद धीरेन्द्र जी , मै आपके ब्लॉग की फालोवर हूँ और आपको जरुर पढ़ती हूँ !

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  3. बहुत सुन्दर पोस्ट।

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  4. मौसम के अनुसार सुन्दर रचना

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  5. वाह सुन्दर शब्दों से रची बसंती रचना ...वसुंधरा जी

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  6. आप सबका आना बहुत मायने रखता है मेरे लिए... !!

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  7. बहुत ही लाजवाब ... सुन्दर रचना है ...

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  8. WAH LAJABAB RACHANA LIKHI HAI APNE PANDEY JI ...BAHUT BAHUT ABHAR.

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    1. Aapko bahut -bahut abhar Naveen jee ki aapki nazar is rachna par padi ,mai anugrihit huyi ... !!

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  9. laajavaab,sundar bhaao se yukt behatariin rachana

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  10. वाह...................

    बहुत बहुत सुंदर खूबसूरत रचना.....

    अनु

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