बीत गया बसंत
तेरे आगमन की यादे
शेष है
पतझर के मौसम में
ये कैसा श्रृंगार हुआ था
बसंत का आगमन तो दूर
मेरे मन में
तेरा आगमन
बार - बार हुआ था
नैस्त्रशियम और पैंजी के
फूलों से ज्यादे
सुन्दर, खुबसूरत
आम के बौरों से भी
ज्यादा महकदार -
ऐ मेरे यार,
हवा जैसे...
दोशीजा की कलियों के आंचल
और लहरों के मिजाज से
छेड़खानी करती ,
मेरे मन में तेरी आहट
एक नयी अनुभूति..
तुम सुबह से भी ज्यादा मासूम
प्रभाती गाकर..
फूलों को जगा देने वाले
देवदूत मेरे
सूर्योदय के गुलाबी पंखुडियां
बिखेरने वाले,
सुनहरे पराग की एक बौछार
सुबह के ताजे फूलों सी बिछ रही
मेरे तन-मन में
अब भी शेष ... !!
बहुत सुंदर ..
ReplyDeleteआभार आपको... !!
Deleteआपका स्वागत है !
Deleteसुनहरे पराग की एक बौछार
ReplyDeleteसुबह के ताजे फूलों सी बिछ रही
मेरे तन-मन में
अब भी शेष ... !!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण सुंदर रचना,...
RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
आपका फालोवर बन गया हूँ,आप भी बने मुझे खुशी होगी,..आभार
ReplyDeleteधन्यवाद धीरेन्द्र जी , मै आपके ब्लॉग की फालोवर हूँ और आपको जरुर पढ़ती हूँ !
Deleteबहुत सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteसुकरान ....इमरान जी !
Deleteमौसम के अनुसार सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह सुन्दर शब्दों से रची बसंती रचना ...वसुंधरा जी
ReplyDeleteसंजय जी धन्यवाद ..!!
Deleteआप सबका आना बहुत मायने रखता है मेरे लिए... !!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब ... सुन्दर रचना है ...
ReplyDeletesundar rachna,bdhaai aap ko
ReplyDeleteThanks Avanti jee, thanx a lot
DeleteWAH LAJABAB RACHANA LIKHI HAI APNE PANDEY JI ...BAHUT BAHUT ABHAR.
ReplyDeleteAapko bahut -bahut abhar Naveen jee ki aapki nazar is rachna par padi ,mai anugrihit huyi ... !!
Deletelaajavaab,sundar bhaao se yukt behatariin rachana
ReplyDeleteAadarniya Vikram jee saadar abhar aapko ... !!
Deleteवाह...................
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर खूबसूरत रचना.....
अनु
This comment has been removed by the author.
DeleteSaadar abhar Anu jee... !!
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