Sunday, May 1, 2016

प्रेम में

खुद को विसर्जित कर देना
किसी के लिए
किसी को
आसान नही होता
आसान तब होता है प्रेम में
हम जब विसर्जित होते हैं
सौंपते हैं पहाड़ों भरा आकाश
लहलहाते अरण्य वन
कोमल पत्तियों सी
ह्रदय का यह पट
हाँ....सौंपते हैं
अपनी बूँद-बूँद लहू
रातों की नींदें
विसर्जित करते हैं अपने अहम्
क्यूँकी..तब होते हैं हम प्रेम में ..!!

Monday, January 4, 2016

स्पर्श: कवयित्री वसुंधरा पाण्डेय की 8 कवितायेँ

स्पर्श: कवयित्री वसुंधरा पाण्डेय की 8 कवितायेँ: ’ मेरे लिए कविता लिखना सांस लेने जैसा है – मुझमें जीवन ऊर्जा का संचार करती हैं कवितायेँ /और मेरा मानना है कि कविता में प्राण तत्वों की...

Saturday, January 2, 2016

तुम्हारी याद

कोलाव तट की 
सोने की रेत बीनती 
सपनो के पंख फड़फड़ाती 
पहाडी सांझ सी उतर मेरे आँचल में 
सितारे टाँकती 
.....तुम्हारी याद ..!
सिहरन भरी हवा सी
आकाश के सूनेपन में बजती
अनुभूति की तरह नदी को
छूती सहलाती बहती चली आती...
तुम्हारी याद है कि सखी मेरी .. ...!!