कोलाव तट की
सोने की रेत बीनती
सपनो के पंख फड़फड़ाती
पहाडी सांझ सी उतर मेरे आँचल में
सितारे टाँकती
.....तुम्हारी याद ..!
सिहरन भरी हवा सी
आकाश के सूनेपन में बजती
अनुभूति की तरह नदी को
छूती सहलाती बहती चली आती...
तुम्हारी याद है कि सखी मेरी .. ...!!
सोने की रेत बीनती
सपनो के पंख फड़फड़ाती
पहाडी सांझ सी उतर मेरे आँचल में
सितारे टाँकती
.....तुम्हारी याद ..!
सिहरन भरी हवा सी
आकाश के सूनेपन में बजती
अनुभूति की तरह नदी को
छूती सहलाती बहती चली आती...
तुम्हारी याद है कि सखी मेरी .. ...!!
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