Sunday, December 1, 2013

बूंदियों की तरह

तुम आये..?
तुम चले भी गए ...

सूखे पत्तों के ऊपर
अंजुली उड़ेलते हुये
भागे जा रहे ...


तिरते बादलों की
टप्-टप् टप्-टप्
बूंदियों की तरह ... !!

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