Thursday, December 5, 2013

नाप लेना चाहती हैं आसमान

अँकवार लिए
उस पेड़ को
वह लतर

शायद
गुनगुना रही है
कोई प्रणय गीत

नृत्य-मुद्रा में जैसे
उसके पाँव थिरकते
थपथपाते धरती

शाख दर शाख
फैलती चली जाती हैं
उसकी बाहें
नाप लेना चाहती हैं आसमान... !!

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