Wednesday, August 14, 2013

प्रणामबद्ध अंजुलियो में




सहेजे हुए स्वप्न मेरे...
खिलो ना
जैसे खिलती है प्रार्थना

तन के...
मन के...
कण-कण में
अमित दुलार से रचे
स्वप्न मेरे..

खिलो न..
जैसे खिलता है,
इग्जोरा का फूल...!!

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