Thursday, September 8, 2011

"छल"



भावुक'
निश्छलता का प्रतीक ..
पवित्रता भी ..

पर है 'सच यही की'
हर पल 'हम' छले जाते हैं
केवल अपनों के हाथों
'गैरो के' नहीं 


बनना होगा हमें
'अचल' ,'अजर' धरा ,
अविरल 'बहने' वाली 'दरिया'


मै..' नहीं बन सकती अब भावुक...
क्यूंकि छली गयी बार बार ..

अपनों से...!! 




2 comments:

  1. wahi likhne ka andaz....wahi jajbat.....bahut..sundar Rachana ji

    Dhananajay Mishra
    Jabalpur

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......

    ReplyDelete